हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया क्या है ?  Ala Herbal Blogs

हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया (Hyperprolactinemia) के बारे में समझने से पहले बहुत ज़रूरी है के प्रोलैक्टिन (Prolactine) के बारे में समझा जाये। प्रोलैक्टिन पिट्यूटरी ग्रंथि (pituitary gland) द्वारा उत्पादित एक हार्मोन है। यह स्तन विकास को उत्तेजित करता है और गर्भावस्था (pregnancy) के दौरान और प्रसव के बाद दूध उत्पादन को बढ़ावा देता है। प्रोलैक्टिन का स्तर नई माताओं और गर्भवती महिलाओं के लिए उच्च होता है।

प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System): प्रोलैक्टिन प्रतिरक्षा प्रणाली को भी प्रभावित करता है और व्यक्ति के शरीर की रक्षा क्षमता को सुधारने में मदद करता है.

मेटाबोलिज़्म (Metabolism): प्रोलैक्टिन का थोड़ा-बहुत प्रभाव आपके मेटाबोलिज़्म पर भी होता है, लेकिन इसका प्रमुख उपयोग महिलाओं में स्तनपान की प्रक्रिया को नियंत्रित करने में होता है।

हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया क्या है ?

हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया एक एंडोक्राइन (हार्मोनल) रोग है जिसमें आपके शरीर में प्रोलैक्टिन हार्मोन की मात्रा अधिक हो जाती है। प्रोलैक्टिन हार्मोन पिट्यूटरी ग्लैंड से निकलता है, जो आपके मस्तिष्क के नीचे होता है, और यह महिलाओं में स्तनपान की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है और पुरुषों में प्रजनन प्रणाली को प्रभावित करता है। यह हार्मोन टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को नियंत्रित करता है, जो पुरुषों के लिंग, शारीरिक विकास, और यौवनिक लक्षणों को नियंत्रित करता है। 

हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया एक एंडोक्राइन (हार्मोनल) रोग है जिसमें आपके शरीर में प्रोलैक्टिन हार्मोन की मात्रा अधिक हो जाती है। प्रोलैक्टिन हार्मोन पिट्यूटरी ग्लैंड से निकलता है, जो आपके मस्तिष्क के नीचे होता है, और यह महिलाओं में स्तनपान की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया होने पर, प्रोलैक्टिन की अधिक मात्रा के कारण कई प्रकार के लक्षण हो सकते हैं।

हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया के मुख्य लक्षण और समस्याएँ निम्नलिखित हो सकती हैं:

यौन इच्छा में कमी (Lack of interest in sex) : हाइपरप्रोलैकिनेमिया के एक सामान्य लक्षण में से एक यह हो सकता है कि यौन इच्छा में कमी होती है, जिसके कारण व्यक्ति का यौन इच्छा कम हो जाता है।

कमजोर हड्डियां (Low Bone Mass): हाइपरप्रोलैकिनेमिया के बारे में चिंता की जाने वाली एक और समस्या है कमजोर हड्डियां, जिसे आमतौर पर ओस्टिओपोरोसिस कहा जाता है। यह एक स्थायी नुकसान का कारण हो सकता है और हड्डियों को कमजोर बना सकता है।

स्तन से दूध की निकलना (Galactorrhea): यदि आप गर्भवती नहीं हैं और स्तन से दूध की तरह का प्रवाह आता है, तो यह एक अन्य हाइपरप्रोलैकिनेमिया का संकेत हो सकता है। इसके बारे में चिकित्सक से परामर्श करना महत्वपूर्ण होता है।

पुरुषों में मुख्य हाइपरप्रोलैकिनेमिया के ये विशेष लक्षण हो सकते हैं:

Erectile Dysfunction (ED) – यौन कमजोरी: हाइपरप्रोलैकिनेमिया के कारण पुरुषों में यौन समस्याएँ हो सकती हैं, और इसमें यौन कमजोरी (erectile dysfunction) शामिल हो सकती है, जिसमें व्यक्ति यौन संबंध बनाने में मुश्किल महसूस कर सकता है।

Low levels of testosterone – कम टेस्टोस्टेरोन स्तर: हाइपरप्रोलैकिनेमिया के कारण पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी हो सकती है, जिसके कारण यौवनिक लक्षणों में कमी हो सकती है, जैसे कि शारीरिक विकास और स्त्री संग यौवनिक लक्षणों का कम हो जाना।

Enlarged breast tissue (gynecomastia) – वृद्धि हुआ स्तन ऊतक (गाइनेकोमास्टिया): हाइपरप्रोलैकिनेमिया के कारण पुरुषों में स्तनों के उभार में वृद्धि (gynecomastia) हो सकता है, जिसमें पुरुषों के स्तन बड़े और सूजे हो सकते हैं।

कुछ और लक्षण इस प्रकार हैं :

  • मासिक धर्म में असामान्य परिवर्तन: महिलाएं जो हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया से प्रभावित होती हैं, उनके मासिक धर्म में असामान्य बदलाव हो सकते हैं, जैसे कि असमय मासिक धर्म का आना या मासिक धर्म का बंद हो जाना।
  • स्तनों से संबंधित समस्याएँ: हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया के कारण स्तनों में दर्द या सूजन हो सकती है।
  • शरीर के हेयर ग्रोथ में बढ़ोतरी: कुछ महिलाएं हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया के कारण शरीर के असामान्य हेयर ग्रोथ के साथ साथ चेहरे पर छाले हो सकते हैं।
  • बालपन: पुरुषों में भी हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया हो सकता है, और इसके कारण बालों का पतन हो सकता है या यौन कमजोरी आ सकती है।
  • स्पर्म प्राप्ति में कमी: Hyperprolactinemia के कारण कुछ पुरुषों में शुक्राणु की संख्या में कमी हो सकती है जिससे स्पर्म प्राप्ति (sperm production) में समस्या आ सकती है
  • शरीर में दर्द: कुछ लोग हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया के कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द का अहसास कर सकते हैं, जैसे कि पेट में दर्द या सिरदर्द.
  • सामान्य मनोबल: हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया लक्षणों में से एक हो सकता है सामान्य मनोबल या दिमागी दुर्बलता आये।
  • नवजात शिशु के साथ समस्याएँ: महिलाएं जो गर्भावस्था के दौरान हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया से प्रभावित होती हैं, उनके नवजात शिशु को भी कुछ समस्याएँ हो सकती हैं, जैसे कि बढ़ती शिशु की वजन कमी या स्तनपान में समस्याएँ।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर (weak Immune System): प्रोलैक्टिन प्रतिरक्षा प्रणाली को भी प्रभावित करता है और व्यक्ति के शरीर की रक्षा क्षमता को सुधारने में मदद करता है। हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया के कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर पड़ेगा। 
  • मेटाबोलिज़्म (Metabolism): प्रोलैक्टिन का थोड़ा-बहुत प्रभाव आपके मेटाबोलिज़्म पर भी होता है, लेकिन इसका प्रमुख उपयोग महिलाओं में स्तनपान की प्रक्रिया को नियंत्रित करने में ही होता है।

हाइपरप्रोलैकिनेमिया (hyperprolactinemia) का क्षेत्रफल पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले कम होता है, क्योंकि प्रोलैक्टिन मुख्य रूप से महिलाओं में स्तनपान के प्रक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करता है। हालांकि, कुछ प्रकार के परिस्थितियों में पुरुषों में भी हाइपरप्रोलैकिनेमिया का खतरा बढ़ सकता है। 

महिलाओं में हाइपरप्रोलैकिनेमिया का सबसे सामान्य कारण महिलाओं में स्तनपान की प्रक्रिया के साथ संबंधित होता है। प्रोलैक्टिन की मात्रा महिलाओं में गर्भावस्था, डिलीवरी, और स्तनपान के समय बढ़ सकती है, और यह बिना नियमित हो सकती है।गर्भावस्था और डिलीवरी के बाद: गर्भावस्था के दौरान और डिलीवरी के बाद, प्रोलैक्टिन की मात्रा महिलाओं में बढ़ सकती है, जिसके कारण हाइपरप्रोलैकिनेमिया हो सकता है।

अधिक्तर हाइपरप्रोलैकिनेमिया इन कारणों से हो सकता है :

स्तन समस्याएँ – कुछ स्तन समस्याएँ, जैसे कि गले में दर्द या स्तन के चोट के कारण, प्रोलैक्टिन की मात्रा में वृद्धि के खतरे को बढ़ा सकती हैं।

दोषित पिट्यूटरी ग्लैंड- पिट्यूटरी ग्लैंड की किसी बीमारी या क्षति के कारण, प्रोलैक्टिन की अत्यधिक निर्माण हो सकती है, जिससे हाइपरप्रोलैकिनेमिया हो सकता है।

 दवाओं का उपयोग – कुछ दवाओं का उपयोग भी हाइपरप्रोलैकिनेमिया के खतरे को बढ़ा सकता है, जैसे कि ऐंटीप्साइकोटिक और ऐंटीडिप्रेसेंट दवाएँ। जो मानसिक विकारों के इलाज में प्रयुक्त होती हैं।

थायरॉइड समस्याएँ- कुछ थायरॉइड समस्याएँ भी हाइपरप्रोलैकिनेमिया का कारण बन सकती हैं, क्योंकि थायरॉइड और पिट्यूटरी ग्लैंड के बीच के संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं।

निम्नलिखित दवाओं का सेवन करने से हाइपरप्रोलैकिनेमिया का खतरा हो सकता है

  • उच्च रक्तचाप की दवाएँ: उच्च रक्तचाप की दवाएँ, जैसे कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स (Calcium Channel Blockers) और मेथिलडोपा (Methyldopa), हाइपरप्रोलैकिनेमिया के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
  • कुछ अंटीप्साइकोटिक दवाएँ: कुछ ऐंटीप्साइकोटिक दवाएँ, जैसे कि रिसपेरिडोन (Risperidone) और हैलोपेरिडॉल (Haloperidol), भी हाइपरप्रोलैकिनेमिया का कारण बन सकती हैं।
  • उल्टी और मतली की दवाएँ: उल्टी और मतली की दवाएँ का सेवन भी हाइपरप्रोलैकिनेमिया को बढ़ा सकता है।
  • हृदयघटना और गैस्ट्रोइसोफागियल रीफ्लक्स रोग (GERD) का इलाज करने वाली दवाएँ: GERD और हृदयघटना की दवाएँ भी हाइपरप्रोलैकिनेमिया का कारण बन सकती हैं।
  • जन्म नियंत्रण गोलियाँ (Birth Control Pills): जन्म नियंत्रण गोलियाँ भी कुछ मामलों में हाइपरप्रोलैकिनेमिया के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
  • ओपियट्स से मिली दर्द निवारक दवाएँ: ओपियट्स (Opioids) से मिली दर्द निवारक दवाएँ भी हाइपरप्रोलैकिनेमिया के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं।
  • मेनोपॉज सिम्पटम्स का इलाज करने वाली दवाएँ: मेनोपॉज (Menopause) के लक्षणों का इलाज करने वाली दवाएँ, जैसे कि एस्ट्रोजन थेरेपी (Estrogen Therapy), भी हाइपरप्रोलैकिनेमिया के खतरे को बढ़ा सकती हैं।

 

ऐसा भी नहीं है के यह दवाएं आप ले ही नहीं सकते लेकिन, कोशिश करें के अधिक समय तक किसी भी दवा का सेवन न करें। एक बार सेहत ख़राब होने पर उसको दोबारा न होने दें। व्यायाम करें और पौष्टिक आहार लें। एक ही बीमारी में बार बार पड़ने का अर्थ है के आप अपने शरीर का अच्छा ध्यान नहीं रखते, जिसके चलते ही आप हाइपरप्रोलैकिनेमिया जैसी बीमारी के जाल में फँस जाते हैं। सबसे अधिक ज़रूरी है के समस्या या जानकारी का अभाव हो तो अपने डॉक्टर की सलाह लें।

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